बढ़ रहा है देश अपना, जागो यह एक भर्म हैं
आज हर भारतीय को, हर भारतीय पर
शर्म हैं, बस शर्म है
रखेल बन गया है संसद
कुछ असामजिक तत्वो का
कुछ गुंडे कुछ मवालियों का
कुछ भ्रास्त बलात्कारियों का
धर्म के नाम पर भड़कना धमकना
आज इनका धर्म हैं
आज हर भारतीय को हर भारतीय पर
शर्म हैं, बस शर्म हैं
चलता बस देश अब
पूंजीपतियों के दम पर है
लड़ निकलो जब अपने हक़ के लिए तो
बाधा हर कदम पर हैं
इन पूंजीपतियों के कारण ही
महँगाई अपने चरम पर है
ऐसेक्रोनी कॅपिटलिज़म का
बाजार अब भी गरम हैं
आज हर भारतीय को हर भारतीय पर
शर्म है, बस शर्म हैं
रैन्गते है क़ानून यहाँ
जो कुचले जातें हैं
आतंकी बालकारियों द्वारा
सन्न कर दिया हैं हमें लुटती हुई लाज ने
जीवित को मुर्दा कर दे उस समाज ने
इन बड़े लोगों पर
साहेब अब भी नरम है
आज हर भारतीय को हर भारतीय पर
शर्म है, बस शर्म हैं .
आज हर भारतीय को, हर भारतीय पर
शर्म हैं, बस शर्म है
रखेल बन गया है संसद
कुछ असामजिक तत्वो का
कुछ गुंडे कुछ मवालियों का
कुछ भ्रास्त बलात्कारियों का
धर्म के नाम पर भड़कना धमकना
आज इनका धर्म हैं
आज हर भारतीय को हर भारतीय पर
शर्म हैं, बस शर्म हैं
चलता बस देश अब
पूंजीपतियों के दम पर है
लड़ निकलो जब अपने हक़ के लिए तो
बाधा हर कदम पर हैं
इन पूंजीपतियों के कारण ही
महँगाई अपने चरम पर है
ऐसेक्रोनी कॅपिटलिज़म का
बाजार अब भी गरम हैं
आज हर भारतीय को हर भारतीय पर
शर्म है, बस शर्म हैं
रैन्गते है क़ानून यहाँ
जो कुचले जातें हैं
आतंकी बालकारियों द्वारा
सन्न कर दिया हैं हमें लुटती हुई लाज ने
जीवित को मुर्दा कर दे उस समाज ने
इन बड़े लोगों पर
साहेब अब भी नरम है
आज हर भारतीय को हर भारतीय पर
शर्म है, बस शर्म हैं .